राजस्थान में जल संकट को लेकर PM मोदी की बड़ी सौगात, इस योजना से हर घर में जाएगा 7 पीढ़ियों तक पानी
जयपुर: राजस्थान में पानी की कमी को खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर में पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP) का उद्घाटन किया। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य को जल-अधिशेष क्षेत्र में बदलना है और 21 जिलों में लंबे समय से चल रहे जल संकट को समाप्त करना है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने रविवार को सूरत में यह घोषणा करते हुए कहा कि यह परियोजना राजस्थान की आने वाली सात पीढ़ियों के पानी की जरूरतों को पूरा करेगी।
नदियों के जुड़ने से होगा जल संकट का समाधान
इस परियोजना के अंतर्गत राजस्थान और मध्य प्रदेश की 11 प्रमुख नदियों को जोड़ा जाएगा। इनमें चंबल, पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज जैसी नदियां शामिल हैं। इन नदियों का जल उपयोग कर 21 जिलों में पीने का पानी, सिंचाई और औद्योगिक मांग पूरी की जाएगी।
जनवरी 2024 में राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें ERCP परियोजना का नाम बदलकर PKC-ERCP रखा गया। यह परियोजना दोनों राज्यों के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास का एक बड़ा आधार साबित होगी।
किन जिलों को मिलेगा फायदा?
इस परियोजना से राजस्थान के झालावाड़, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, दौसा, करौली, भरतपुर, अलवर सहित 21 जिलों में जल संकट समाप्त होगा। इसके अलावा मध्य प्रदेश के गुना, शिवपुरी, श्योपुर, सीहोर, शाजापुर, राजगढ़, उज्जैन, मंदसौर, मुरैना, रतलाम और ग्वालियर जिलों को भी इसका लाभ मिलेगा। परियोजना न केवल पेयजल की आपूर्ति को सुनिश्चित करेगी बल्कि सिंचाई और औद्योगिक आवश्यकताओं को भी पूरा करेगी।
पहला बांध बनकर तैयार
परियोजना के तहत पहला बांध नोनेरा एबरा बांध कोटा जिले की पीपल्दा विधानसभा में कालीसिंध नदी पर बनाया गया है। सितंबर 2024 में इस बांध का परीक्षण पूरा हुआ और पानी का भंडारण शुरू हो गया। इस बांध के जरिए हाड़ौती क्षेत्र की नदियों का पानी 170 किलोमीटर दूर तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए ग्रेविटी चैनल, ग्रेविटी फीडर, सुरंग और पंपिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं।
आधुनिक तकनीक का उपयोग
PKC-ERCP में आधुनिक जल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। परियोजना में शामिल कैनाल सिस्टम, सुरंगों और पंपिंग स्टेशनों के माध्यम से पानी को दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाया जाएगा। इससे न केवल पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी बल्कि सिंचाई की लागत में भी कमी आएगी।
इस परियोजना का उद्देश्य राजस्थान को जल संकट से मुक्त कर स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार यह परियोजना स्थानीय किसानों के लिए वरदान साबित होगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी।
लंबे समय से चल रही थी मांग
पूर्वी राजस्थान के जिलों में जल संकट का समाधान लंबे समय से राज्य की प्राथमिकताओं में था। यह परियोजना इन जिलों में खेती, पेयजल और उद्योगों के लिए आवश्यक जल आपूर्ति को सुनिश्चित करेगी। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि यह परियोजना राज्य की जल सुरक्षा को मजबूत करने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी समाधान प्रदान करने का काम करेगी।